- 40 दिनों तक चली सुनवाई में विवादित भूमि के मालिकाना हक और रामलला विराजमान को न्यायिक व्यक्ति मानने के मुद्दे पर दोनों पक्षों ने दलीलें दीं
- अयोध्या विवाद पहली बार 1885 में कोर्ट में पहुंचा, निर्मोही अखाड़ा 134 साल और सुन्नी वक्फ बोर्ड 58 साल से जमीन पर मालिकाना हक मांग रहा
- सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष ने 7.5 लाख और मुस्लिम पक्ष ने 5 लाख पेज की फोटोकॉपी कराई
नई दिल्ली. अयोध्या विवाद पहली बार 1885 में कोर्ट में पहुंचा था। निर्मोही अखाड़ा 134 साल से जमीन पर मालिकाना हक मांग रहा है। सुन्नी वक्फ बोर्ड भी 58 साल से यही मांग कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई थी। अब 8 साल बाद अयोध्या विवाद मामले में बुधवार को सुनवाई पूरी हुई। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट अब 4 या 5 नवंबर को फैसला सुना सकता है। 40 दिन तक लगातार चली सुनवाई में विवादित भूमि के मालिकाना हक से लेकर रामलला विराजमान को न्यायिक व्यक्ति मानने के मुद्दे तक 6 प्रमुख बिंदुओं पर दोनों पक्षों ने दलीलें रखीं।